चिकित्सा विज्ञानं का दायरा दिन-ब-बढ़ता जा रहा है हमने बहुत-सी बीमारियों को जड़ से खत्म कर दिया है जो मानव जाति के लिए एक ख़ुशी कि बात है। परन्तु समय के साथ चिकित्सा विज्ञान के साथ नइ चुनोतियाँ भी जुडी है जिनसे पार पाना थोड़ा मुश्किल है हम आशा करते है कि चिकित्सा विज्ञान इन चुनोतियो से भी जल्द ही पार पा लेगा। हम ऐसी ही 21 वीं सदी कि कुछ चुनोतिपूर्ण बीमारियों से आपको अवगत करायेंगे

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सोर्स
इसको सवेयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम भी कहा जाता है। कोरोनावायरस इसका कारण है इसमें पहले सामान्य निमोनिया होता है जो समय के साथ घातक हो जाता है।

इसके पहला रोगी नवम्बर 2002 में चीन में पाया गया बताया जाता है कि यहाँ से हांगकांग में फेल गया धीरे – धीरे यह समूचे विश्व में फ़ैल गया 2003 तक 37 देशो में इसके 8273 मरिज पाए गये जिनमे से 775 को मृत्यु प्राप्त हुई।
मर्स
यह भी एक कोरोना वायरस से फेलने वाली बीमारी है जिससे स्तनधारियो में सांस से जुडी बिमारियां होती है। यह लगभग सोर्स के समान ही है। इसका पहला मरीज 2012 में मिला। इस रोग में निमोनिया हो जाता है और किडनी के फ़ैल होने कि सम्भावना बनी रहती है अब तक आये आकड़ो के अनुसार मर्स के 60 प्रतिशत मामलो में मृत्यु हो जाती है। मर्स कोरोना वायरस से होने वाले रोगों में से सबसे खतरनाक है
स्वाइन फ्लू
वायरस से होने वाला यह रोग सुअरों में होता है। सामान्यतोर पर सुअरों से मानव में यह रोग नहीं फेलता है परन्तु लगातार इनके संपर्क में रहने या रोगी सुअरों का मांस खाने से इसके होने कि सम्भावना बढ़ जाती है। इसके वायरस को H1N1 के नाम से जाना जाता है यह नाम सबसे पहले 2009 में सामने आया।

खुशी कि बात यह भी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2010 में इस बीमारी के ख़त्म होने कि घोषणा की.
बर्ड फ्लू
यह वायरस से होने वाला रोग पक्षियों को प्रभावित करता है खाशतौर पर पालतू या पोल्ट्री फॉर्म कि मुर्गियों को यह ज्यादा प्रभावित करता है।

इसके वायरस का नाम H5N1 वायरस है 2003 में एशिया में इसके होने कि पुष्टि कि गई इसके बाद यह पूरे विश्व में फ़ैल गया।
HIV/AIDS
एचआईवी का पूरा नाम ह्यूमन इम्मुनो डेफिसियेंसी वायरस है और यह रोगी के प्रतिरक्षा तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने से रोगी में ट्यूबरक्लोसिस जैसी अन्य बीमारियाँ हो जाती है इसका अभी इलाज सम्भव नहीं हो पाया है इसलिए बचाव ही उपाय है

यह शरीर में खून , वीर्य , संक्रमित सुई आदि से फैलता है। सयुक्त राष्ट्र का कहना है कि एड्स के रोगियों में लगातार कमी हो रही है जो हमारे लिए सुखद खबर है
एबोला वायरस रोग
एबोला वायरस से होने वाली यह खतरनाक और घातक है इसमें बुखार और अंदरूनी रक्तस्त्राव जैसी परेशानी हो सकती है। ज्यादातर यह बीमारी सक्रमित तरल पदार्थो के सम्पर्क के कारण होती है। इस बीमारी के होने पर 90 % सम्भावना मृत्यु कि रहती है।

यह अफ्रीका सहारा क्षेत्र कि आम बीमारी है। मानव जाति के लिए खतरा बनती इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज सम्भव नहीं हो पाया है।
डेंगू
यह भी वायरस के कारण होने वाला रोग है जो एडीज मच्छर में रहता है यह उन व्यक्तियों में होता है जिनको एडीज मच्छर ने काटा है।

इस रोग में तेज बुखार आना और जोड़ो में दर्द जैसे लक्षण देखे जाते है। अगर इससे होने वाली बुखार का इलाज नहीं किया गया तो मृत्यु भी हो सकती है। डेंगू दुनिया के 110 देशो में फेल चूका है इसकी कारगर दवा बनाने पर काम चल रहा है।
कोलेरा
यह एक छोटी आंत्र में होने वाली संक्रामक बीमारी है जो दूषित पानी से फेलती है इसमें उलटी आना , डायरिया सामान्य है लंबे समय तक कोलेरा से मृत्यु भी हो सकती है।

आकड़ो के अनुसार हर साल इस बीमारी से 30 से 50 लाख लोग ग्रषित होते है और लगभग 1 लाख कि मृत्यु हो जाती है इसके इलाज के लिए एंटीबेक्टीरियल दवाओ और थेरेपी का सहारा लिया जाता है.
वेस्ट नाइल वायरस
यह वायरस WNV मछरो में पाया जाता है जो मानव में इस मच्छर के काटने से हो सकता है इस रोग पहला मरीज 1937 को युगांडा में मिला था। और यह वायरस 1994 में अल्जीरिया में भयकर तरीके से फ़ैल गयी। यहाँ से यह अमेरिका कनाडा , करेबियाई देशो और लैटिन अमेरिकी देशो में फ़ैल गयी।

इस रोग के बुखार आना , मांसपेशियों में दर्द मुख्य लक्षण है।